Sunday, April 25, 2010

बसंत

शीत की बंद कोठरी के द्वार से
अंधेरो को उजाले में लाया है बसंत ।

महकती कलियों के लिए भोरो का ,
प्रेम संदेश लाया है बसंत .

पीले से मुख पर बसंती आभा
बिखेरता हुआ आया है बसंत .

किसानो के लिए फसलो की सोगात
लेकर आया है बसंत .

जीवन को जीवन देने ,
फ़िर से आया है बसंत .

और पढ़ते हुए बच्चो के लिए ,
देवी माँ सरस्वती का वरदान
लेकर आया है बसंत

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