Wednesday, April 28, 2010

इंसानी मुखौटा

भूख बाहर बिफरी है
अनाज के दाने गोदामों में पाये जाते हैं
भूखे इंसानों के पांव वहां तक क्या पहुचेंगे
पंछी भी पंख वहां तक नहीं मार पाते हैं।
इंसानी मुखौटा लगाये शैतानों ने
कर लिया है दौलत और ताकत पर कब्जा
अपनी भूख मिटाने के वास्ते
हुक्मत अपने इशारों पर चलाये जाते हैं।
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वादों पर कब तक यकीन करें
हर बार धोखा खाया है,
मगर फिर भी लाचारी से देखते
क्योंकि उन्होंने हर वादे से पहले
चेहरे पर नया मुखौटा लगाया है

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