Sunday, May 9, 2010

सेक्स : मिथ एंड फैक्ट्स सेक्स : क्या कहते हैं रिसर्च

सेक्स के अच्छे और बुरे पक्ष को लेकर कई तरह के शोध हुए हैं। शोध कितने सही और गलत होते हैं यह हम नहीं जानते, लेकिन इनकी विश्वसनीयता पर संदेह किए जाने की जरूरत है, क्योंकि एक शोध कहता है कि नियमित सेक्स करने से व्यक्ति स्वस्थ बना रहता है और दूसरा शोध कहता है कि इससे हृदय कमजोर होता है। आयुर्वेद अनुसार तो नियमति सेक्स करना घातक माना गया है ऐसे में हम कौन से शोध की बात मानें। फिर भी आओ जानते हैं कि सेक्स पर किए गए शोधों का निष्कर्ष क्या है।

सुबह का सेक्स : ब्रिटेन के बेलफास्ट की क्वीन्स यूनिवर्सिटी में किए गए शोधानुसार सुबह-सुबह का सेक्स आपको तंदुरुस्त बनाता है। यह हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, आर्थराइटिस और माइग्रेन को कंट्रोल करता है। लेकिन धर्मशास्त्र इसकी इजाजत नहीं देते क्योंकि ब्रह्ममुहूर्त सिर्फ ब्रह्म ध्यान के लिए होता है जबकि व्यक्ति में भरपूर ऊर्जा होती है। इस ऊर्जा का ध्यान-प्रार्थना के लिए उपयोग होना चाहिए। लेकिन शोधकर्ता मानते हैं कि सुबह के सेक्स से लगभग 300 कैलोरीज खर्च होती है जिसकी वजह से डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है।

बेस्ट सेक्स की अवधि : सेक्स से जुड़ी भ्रांतियों और असुरक्षा की भावना से मुक्त होने के लिए सेक्स संबंधी ज्ञान का होना आवश्यक है। अमेरिका के पेन्सिलवेनिया स्थित बेहरेंड कॉलेज इन एरी के शोधकर्ताओं का मानना है कि कि आमतौर पर 3 मिनट का सेक्स पर्याप्त होता है और ज्यादा देर की बात करें तो 7 से 13 मिनट का समय सबसे अधिक डिजायरेबल होता है।

सेक्स का कारण : टैक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ता मानते हैं कि सेक्स के लिए प्रेरित होने के लगभग 239 कारण हैं। युवक और युवतियों का एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होना एक कारण है। कॉलेज में शारीरिक सुख प्राप्त करने की तीव्र इच्छा जाग्रत होने का कारण यही है, इस इच्छा के चलते लिव इन रिलेशनशिप जैसे संबंध में पनपने लगे हैं। दूसरा यह कि प्रेम की अभिव्यक्ति और लगाव जाहिर करना शुरुआती 10 कारणों में से एक है। तो क्या हम यह मानें कि प्रेम के मूल में सेक्स ही है? शोधकर्ता मानते हैं कि किसी से बदला लेने के लिए भी सेक्स सबमें अजीब कारण है। स्त्रियाँ किसी स्त्री या पति से बदला लेने के लिए भी संभोग करती है।

34 के पार महिलाएँ : ब्रिटेन में हुए शोधानुसार 34 की उम्र में महिलाएँ स्वयं को ज्यादा सेक्स ऊर्जा से लबरेज महसूस करती हैं। यह भी माना जाता है कि 28 से 34 का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। 34 की उम्र में महिलाओं में कामसुख की प्रबल इच्छा होती है। ऐसा इसलिए होता है कि योनि में होने वाली पीड़ा अथवा गर्भधारण के भय से महिलाएँ मुक्त हो जाती हैं।

नियमित सेक्स से बढ़ती है प्रजनन क्षमता : ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों द्वारा 2007 में किए गए एक अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला है कि नियमित सेक्स से न केवल शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है बल्कि उनकी प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है। अध्ययन में कहा गया है कि ज्यादातर पुरुषों में शुक्राणु डीएनए को पहुँची क्षति नियमित सेक्स से दूर की जा सकती है।

आमतौर पर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से पहले पुरुष यह सोचकर ज्यादा सेक्स से बचते हैं कि ऐसा करने पर उनके शुक्राणु डीएनए में सामान्य से अधिक वृद्धि होगी। इस रिसर्च पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ऑस्ट्रेलियाई सेक्स विशेषज्ञों ने कहा है कि ज्यादातर ऑस्ट्रेलियाई पुरुष, सेक्स के लिए लंबा अंतराल चाहते हैं, जबकि अधिकतर महिलाओं को इसमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह जल्दी खत्म होता है या देर में।

सेक्स और भारतीय : सेक्स की बात करने में भारतीय शर्मीले बेशक माने जाते हों, लेकिन अपने सेक्स जीवन को जिंदादिली से जीने में वे बिल्कुल भी पीछे नहीं हैं। सन 2007 में ड्यूरेक्स ग्लोबल सेक्सुअल वेलबींग द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में कहा गया है कि 61 प्रतिशत भारतीय अपने साथी के साथ यौन संबंधों से पूरी तरह संतुष्ट हैं जबकि नाइजीरियाई लोगों की संख्या 67 फीसदी और मैक्सिको के 63 प्रतिशत लोग सेक्स जीवन से संतुष्ट हैं। इस मामले में भारतीयों ने दुनियाभर में हुए शोध में तीसरे नंबर पर बाजी मारी है।

भारतीयों के लिए सेक्स अभी भी प्राथमिकताओं में बहुत नीचे है और भारतीय जोड़े सेक्स जैसे मुद्‍दों पर आपस में खुलकर बातचीत भी नहीं करते हैं। भारतीय पुरुषों के लिए सेक्स की प्राथमिकता का क्रम अगर 17वाँ है तो महिलाओं की सूची में भी इसे 14वाँ स्थान मिला है।

ज्यादातर पुरुष पारिवारिक जीवन, माँ-पिता की भूमिका, करियर, आर्थिक सम्पन्नता, शारीरिक तौर पर बेहतरी को प्राथमिकताओं में ऊँचा स्थान देते हैं। पुरुषों की तरह से महिलाएँ भी सेक्स की तुलना में अन्य जिम्मेदारियों को अहम मानती हैं। प्रसिद्ध दवा कंपनी फाइजर ग्लोबल फार्मास्यूटिकल्स ने भारत में एक सर्वेक्षण कराया और उसके नतीजों को सार्वजनिक किया। हालाँकि सर्वेक्षण के मुताबिक यौन संतुष्टि का शारीरिक स्वास्थ्य और प्यार व रोमांस से गहरा संबंध है, लेकिन भारत में इस पर खास ध्यान नहीं दिया जाता है।

सर्वेक्षण के लिए देशभर के चार सौ इलाकों को चुना गया था, जिनमें ज्यादातर शहरी क्षेत्र थे। इस कारण से सर्वेक्षण को शहरी कहा जा सकता है, लेकिन अगर देश के ग्रामीण इलाकों में भी ऐसा कोई सर्वेक्षण किया जाता है तो उसके नतीजे अधिक अलग नहीं होंगे।

मोटापा बना झंझट : ग्रेट ब्रिटेन में करीब 3000 लोगों पर किए गए सर्वे से पता चला कि 10 में से एक महिला मोटापे का शिकार थी। उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले साल भर के दौरान सेक्स में कोई भूमिका नहीं निभाई और उनकी सेक्स लाइफ काफी रूखी थी। सर्वे के अनुसार, मोटी लड़कियाँ बेडरूम में उतनी कॉन्फिडेंट नहीं हो पातीं, जितनी दुबली-पतली लड़कियाँ होती हैं। इसका मुख्य कारण है कि मोटी लड़कियाँ अपने लुक को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं रहतीं। वे हीनभावना से ग्रस्त रहती हैं।

कपड़ों का फायदा : शोधानुसार जो लड़कियाँ दिखने में छरहरी और छोटे-छोटे कपड़े पहनती थीं, वे सेक्सुअली काफी ऐक्टिव थीं। सर्वे में शामिल 60 प्रतिशत महिलाएँ, जिनकी साइज 8 थी, ने कुछ दिन पहले ही सेक्स का आनंद उठाया था। जबकि बड़ी साइज वाली महिलाएँ लंबे समय से सेक्स से दूर थीं। सर्वे में शामिल 50 फीसदी महिलाओं की साइज 12 थी और 33 फीसदी महिलाओं की 26 साइज थी।

No comments:

Post a Comment