Sunday, April 25, 2010

आधी आबादी कि त्रासदी

एक पान कि दुकान पर कुछ ,
कुछ भी काम न ?
करने वाले वाले
ये लडके!
सिगरेट के छल्ले छोड़ते हुये
नौजवान लडके?
आने जाने वाली
काम करने वाली
लडकियों,
शादीशुदा उम्र दराज
काम करने वाली
ओरतो को भी
छेडते हुये,
तंग जींस चितकबरे शर्ट
बदन पर लटकाए
चोरी के
मोबाईल से गाने सुनते हुए
आवारा से लड़के
अपने आप को ?
उनकी इन नजरो से बचाती
बरसात हो ?तपती दुपहरी हो ?
या कि हाड़ कंपा देने वाली ठण्ड
अपनी शादी के लिए पैसे जुटाती ,
ऐसे ही वर (लडको )पाने के लिए
अपने आप को झोंक देती
अपने जीवन को सार्थक करने में ये
लड़कियां....
अपने बेटे कों प्राइवेट स्कूल में
पढ़ाने के लिए
दिन रात चकरी कि तरह घूमती
इन्ही बेटों कि
माँ??

कमाऊ औरत!
मार खाकर भी
कुछ न बोलने वाली
औरत!
मेहनत से कमाए पत्नी के रुपयों
को शराब में खर्च करने को
अपना अधिकार समझने वाला
ही है .....
ऐसे बेटों का पिता!

8 comments:

  1. Bahut khoob..aapne sochne ko vivash kar diya..mere mohalle ka wo chauraha yaad aa gaya mujhe...jahan ye ladke..har shaam..baalo ko paani me bhigokar khade hote hain..lekin inka future bhi nishit hai..ye 5 saal pahle bhi wahi the...5 saal baad bhi wahi khade honge..usi tarah..usi ada se...aadhi aabadi ka majak udaate hue..shayad dhoop me khade ho kar inki aankho ka paani sookh gaya hai..ye aware ladke.. Manvendra Singh

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  2. बेटा, बाप और माँ का सच्चा और मार्मिक चित्रण - कितनी अलग है "माँ". - सोच के लिए साभार बधाई.

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  3. कमाऊ औरत!
    मार खाकर भी
    कुछ न बोलने वाली
    औरत!

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  4. bahut sarthak likha hai.....lakin har koi naujawan aisa nhi hota....kuch hum or aap jaise bhi hote hain....


    Jai HO Mangalmay Ho

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  5. हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं.....बधाई स्वीकार करें.....हमारे ब्लॉग पर आकर अपने विचार प्रस्तुत करें.....|

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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